आकाश का सूनापन ही हमें तन्हा भी जीना सिखाता है।
उद्वेलित मन भी कांप उठता है जब उनकी याद दिल धड्काता है॥
विरह कि तपिश आज भी डर का मौहाल बनाती है।
जब बेखुदी से होश में आने को जी मचल जाती है ॥
लोग कह्ते है मैं यूं ही लिखता हूं प्यार का अफ़साना।
बेवजह कलम और स्याही से कह्ता हूं खुद को उनका दीवाना॥
वो क्या जाने जो अल्फ़ाज़ों मे प्यार करते हैं।
हम तो उनकी एक झलक पाने को कितना इन्त्ज़ार करते हैं॥
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