Wednesday, September 16, 2009

जिन्दगी

जिन्दगी एक ख्वाब है जिसे देखने को जीता हूँ |
अब गम के आंसुओं को मैं अकेला पीता हूँ ||

मैं भी हँसता था कभी औरों की ख़ुशी को देखकर
आज अपनी ख़ुशी को भी तन्हाइयों में समेटता हूँ |

मैं बंदगी करता खुदा की अच्छाई को पाने कें लिए
इल्म है इतना की बातों को जुमलों में समेटता हूँ ||

ये शहर अच्छा नहीं अपने गाँव की यादों में
रोजी रोटी के लिए बस उन यादों को समेटता हूँ

क्या कहूं मैं कहना चाहूं ..............
जिदगी एक ख्वाब है जिसे देखने ............

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