आधी बात कही थी तुमने और आधी मैं ने जोड़ी |
तब जाकर बनी एक तस्वीर सच्ची झूठी थोड़ी थोड़ी||
नटखट सी बातों के पीछे दुनिया भर का प्यार छुपा था |
मुस्काती आँखों ने जाने कैसे कैसे स्वप्न बुना था ||
भींग गयी मेरी भी आँखें भोर का स्वप्न कहाँ पूरा हुआ था |
आज उसे हम कह दें अपना इस ख़त में ऐसा लिखा हुआ था ||
उनके शब्दों में अब उनकी तस्वीर नजर आ जाती है |
सोचा ना था ऐसा होगा लेकिन उनकी याद तो आ जाती है ||