पड्सों रात दोस्त से उधार माँगी टी .वी पर भारत-पाकिस्तान का हॉकी मैच देख रहा था ,स्टेडियम दर्शकों से भरा था , कुछ नामचीन राजनीतिक हस्तियाँ भी थी, जिसमे सोनिया गांधी अपने बेटे राहुल के साथ खिलाड़ियों की हौसला आफजाई कर रहे थे |आलोचनाओं के एक लम्बे दौर के बाद खिलाड़ियों का शायद उत्साह बढ़ा होगा की आखिर देश का राष्ट्रीय खेल आज भी कहीं न कहीं जीवित है | वो अखबार वाले हों या कैमरे वाले सब ने खेल से पहले इस आयोजन की धज्जियाँ उडाई और अभी भी प्रयासरत हैं| मौका मिला नहीं की बस शुरू हो जाते हैं|लेकिन अब इनकी वाहवाही भी कर रहे हैं|
देश की अखंडता और एकता का प्रदर्शन ८० करोड़ के गुब्बारे पर देख कर कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाए |आलोचनाओं ने तो कलमाडी को इतना परेशान कर दिया की 'प्रिंस चार्ल्स' को वो 'प्रिंस डायना'कह बैठे , सही मायने में इस मीडिया वालों ने तो बेचारे का जीना हराम कर दिया है | फ्रस्टेशन के शिकार बेचारे अब मीडिया से दूर भाग रहे हैं |कलमाडी जी मैं आपके साथ हूँ ,खिलाड़ी को अब मेडल मिल रहे हैं तो अब मीडिया वाले भी देश को खेल जगत में एक उभरता हुआ राष्ट्र बताने में पीछे क्यों हटें वरना उनकी टी.आर.पी. न गिर जाए |
विदेशी मीडिया ने भी कभी मजाक उड़ाया तो कभी सराहना की |इस खेल से भारत को क्या मिला है या क्या मिलेगा ये अभी भी मेरी समझ से पड़े है |खिलाड़ी अब गुस्सा मत हो जाएगा ,क्योंकि मैं भी इस देश का आम आदमी हूँ, इस लिए ऐसा बोल रहा हूँ |शरद पवार जी गोदामों में अनाज सड़ा रहे हैं और दूसरी तरफ देश एक नयी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है की अब तो भैया ओलम्पिक की दावेदारी ठोकेंगे |उन मजदूरों का क्या हुआ जिन्होंने दिन रात काम कर इस आयोजन को शायद सफल बनाने में आज भी लगे हैं |
स्टेडियम खाली है लेकिन टिकट बिक चुके हैं |खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीत जाते हैं लेकिन कोई उनके लिए ताली बजाने वाला भी नहीं हैं ,अरे भैया मेरी समझ में तो ये नहीं आ रहा है की दिल्ली की इतनी आबादी में न किसी को फुर्सत है न पैसे | जिनसे उम्मीदे थी वो फिसड्डी साबित हुए वो सानिया हों या सायना विजेंदर हों या कोई और|खेल अगर सफल होता है तो इसका बहुत श्रेय "देलही यूनाइटेड" के बैनर तले काम कर रहे उन तमाम वोलेंटेयर या फिर इंडो तिब्बतियन बोर्डर पुलिस के उन अर्ध सैनिक बालों को जाता है जिन्होंने भूखे पेट रहकर भी देश की इज्जत और गरिमा को सकारात्मक ढंग से सामने रखा है |
बहरहाल खेल का आगाज अच्छा हुआ था और इसका अंजाम भी अच्छा ही होगा , विश्लेषण ,व्यंग ,आलेख , सम्पादकीय फिर लिखे जायेंगे और किये जायेंगे लेकिन इस खेल का खेल कुछ जांच समितियों के फाइलों में बंद हो जाएगा|भ्रष्ट और भ्रष्टाचार पर फिर आलेख लिखे और कार्यक्रम दिखाए जायेंगे |या फिर राखी सावंत के शो में कलमाडी जी इन्साफ के तराजू पर तौले जायंगे ये तो आने वाला वक़्त बतायेगा|