कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था ऐसा होगा |
जिसे मै कहता था अपना खुदा वो जुदा होगा ||
खुदा की बन्दगी कभी कर नहीं पायी |
इस खुदा से खुद की है ये कैसी जुदाई ||
आज गुमशुम सी जिन्दगी में तन्हा जीना पड़ता है |
वक्त की नजाकत को देखकर यूं ही मौन रहना पड़ता है ||
उनकी शिकायत है कि मैं सच नहीं बोलता |
शब्दों से हुई गुस्ताखियों को कभी नहीं तौलता ||
अनायास खुद को इतना अकेला पाता हूँ |
मरना भी कम लगता है, अगर मैं मरने जाता हूँ ||