Monday, July 12, 2010

मौन हैं शब्द !

कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था ऐसा होगा |
जिसे मै कहता था अपना खुदा वो जुदा होगा ||

खुदा की बन्दगी कभी कर नहीं पायी |
इस खुदा से खुद की है ये कैसी जुदाई ||

आज गुमशुम सी जिन्दगी में तन्हा जीना पड़ता है |
वक्त की नजाकत को देखकर यूं ही मौन रहना पड़ता है ||

उनकी शिकायत है कि मैं सच नहीं बोलता |
शब्दों से हुई गुस्ताखियों को कभी नहीं तौलता ||

अनायास खुद को इतना अकेला पाता हूँ |
मरना भी कम लगता है, अगर मैं मरने जाता हूँ ||

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