हौसले भी थम जाते गर तूफ़ान ना आया होता |
दिन नहीं होते गर शाम ना आया होता ||
काँटों से कोई दामन ना बचाया होता |
गर फूलों से भी जख्म ना खाया होता ||
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इबादत के अल्फाज़ ना आये होते
गर कोई किसी का दिल दुखाया ना होता ||
ये वक्त की नजाकत है वरना साहिल ना होते
गर खुदा ने सागर की गहराई ना बनाया होता ||