मैं हिन्दू हूँ , वो मुसलमान है! देश की जनता आज अपनी पहचान इस तरह बना रही है ,इस तरह नहीं कि "हिन्दू मुस्लिम, सिख, इसाई आपस में हम भाई - भाई" ये आज सिर्फ एक जुमला ही बन कर रह गया है आतंकवादी तो मुसलमान ही होते हैं , इस अवधारणा को हिन्दू और हिंदुत्वादिता ने एक नयी परिभाषा दी है ये अब ना नयी बात है और ना ही किसी से छिपी हुई शुरुआत सन २००२ में हुई जब कुछ हिंदुत्व समुदायों ने इस प्रक्रिया में शामिल करने की कोशिश की भोपाल के रेलवे स्टेशन पर पाया गया बिस्फोटक जो मुसलामानों के तबलीगी जमात को निशाना बानाने के उदेश्य से रखा गया था
आज से आठ सौ साल पहले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने धर्म को परिभाषित करते हुए बताया था कि "जरूरत मंदों की मदद और नि:सहायों की सहायता ही सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ी पूजा है लेकिन आज जिस धर्म और धार्मिकता की बात होती है वो सिर्फ महज एक ढोंग है जिस इंसान ने आजीवन एक मक्खी तक ना मारी हो धर्म के नाम पर कत्लेआम तक को तैयार रहता है इसे वो अपना स्वाबलंबन बताता है अगर एक मुसलमान बम से कुछ लोगों की जान ले तो वो आतंकवादी और एक हिन्दू बम बनाते हुए पकड़ा जाए या किसी समुदाय विशेष को मारने की कोशिश करे तो वो हिंदुत्व का रक्षक आखिर ये कौन से मापक यंत्र है जिसके जरिये एक ही काम को अलग - अलग नाम और उपाधियो से नवाजा जाता है
अक्टूबर २००७ का अजमेरशरीफ बम धमाका जिसे राजस्थान पुलिस लम्बे समय तक इस्लामी समुदाय का हाथ होना मान रही थी प्रकारांतर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य देवन्द्र गुप्ता और उनके दो सहयोगी विष्णु प्रसाद और चन्द्रशेखर पाटीदार की राजस्थान पुलिस के द्वारा की गयी गिरफ्तारी इस दावे को खोखले साबित करती है कि आतंक से मुसलमानों को सरोकार है , हिन्दुओं को नहीं बजरंग दल के नरेश कोंद्वर और हिमांशु पांसे की बम बनाने के दौरान हुयी मौत इस बात का सबूत हैं कि वो ना तो देशभक्ति का कोई काम कर रहे थे और ना ही देश की सभ्यता और संस्कृति में अलख जगाने का फिर उन्हें आतंकवादी कहने में हम परहेज क्यों बरतते हैं
इस देश में हक़ की लड़ाई को नक्सलवाद कहकर सरकार इसे देश की सबसे जटिल आंतरिक समस्या बताती है, देश के लिए हिंदुत्व आतंकवाद का सामने आना समस्या नहीं है , क्योंकि ये एक हिन्दू राष्ट्र है ?वो श्री राम सेने के कार्यकर्ताओं की पब में की गयी पिटाई वाली धमा चौकरी हो या बजरंग दल की गुंडा गर्दी ये असामाजिक तत्व नहीं माने जाते इस समाज में प्रतेक समुदाय को नापने का अलग नपना क्यों ?
२००८ का मालेगांव बम धमाका जिसमे कई हिंदुत्व के रक्षकों को पकड़ा गया क्या वे आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम नहीं कर रहे थे आखिर इस धर्म की आग में आम लोगों को क्यों झुलसना पड़ता है एक हिन्दू लम्बी दाढी
वाले को देख कर क्यों भड़क जाता है या फिर उड़ीसा का कंधमाल जिला वैश्वीकरण के इस दौर में धर्म परिवर्तन के कारण हिंसा की आग के लपटों में क्यों शामिल होता है आप अगर ना हिन्दू हैं ना मुसलमान ना सिख हैं ना इसाई अगर आप किसी धर्म से सम्बन्ध नहीं रखते है या धर्म के बंधन से ऊपर उठकर जीवन जी रहे हैं तो मेरे इन सवालों का जवाब जरूर दें
Wednesday, May 19, 2010
Tuesday, May 18, 2010
सरकार का सरोकार
हमारा देश विकास के पथ पर अग्रसर है ,इस सच से हम आम जनता वाकिफ हैं कांग्रेस की सरकार आने वाले २२ मई को अपने द्वितीय सत्र के एक साल पूरे करने वाली है उपलब्धियों की लम्बी फेहरिश्त में "महिला बिल का पास होना ,शिक्षा सबों के लिए" जैसे कुछ और नाम भी हो सकते हैं लेकिन इस सरकार से भी चूक हुई जो महगाई का विकराल रूप लेकर सामने आया और आम लोगों की दाल रोटी तक लील गया लोग कहते हैं कि आलोचना खुद को प्रकाशित और प्रचारित करने का सबसे आसान तरीका है अगर हम भी इस सरकार की आलोचना करते है तो शायद इसे मजबूती दे रहे हैं और कुछ नहीं
देश का आर्थिक विकास दर ६.५ प्रतिशत को छू रहा है आर्थिक मंदी के दौरान भी सरकार ने इस देश को आर्थिक मंदी की मार से बचाए रखा इस सच से भी हम नहीं भाग सकते है लेकिन एक आम आदमी की वो पुरानी सोच कि उसके पास रोटी , कपड़ा और मकान हो आज भले ही रोटी, कपड़ा और मोबाइल बना दिया गया है लेकिन इस देश की आम जनता आज भी इन मूलभूत चीजों से खुद को कही न कहीं महरूम पा रही है
तेल की कीमतों में बढ़ोतरी , रोजमर्रा की चीजों का दाम तो जैसे आसमान छू रहा हैपिछले छः महीनो से मैं ने घर में दाल बनते नहीं देखा है किसानों को दी गयी सब्सीडी से शायद उत्पादकता को बढाने की बात इस सरकार के जेहन की एक अच्छी सोच कही जा सकती है वहीं दूसरी तरफ इन किसानो के उपजाए गए अनाज को नहीं खरीदा जाना उनके लिए परेशानी का सबब बनते जा रही है
देश खुद को आर्थिक दृष्टिकोण से मजबूत कर रहा है लेकिन इस मजबूती की नीव में गरीबी ,अशिक्षा , नक्सल और न जाने कितनी ऐसी ईंट रखी जा रही है जिस पर बना मकान बहुत स्थायी नहीं हो सकता है अगर देश की सरकार इन आंतरिक समस्यों से जूझने में सफल नहीं हो पा रही है तो विकास की परिभाषा और मानदंड क्या है ? एक आम आदमी की हैसियत से मैं आज तक देश में हो रहे विकास को नहीं समझ पाया हूँ
सड़क का बनाया जाना आम जनता की आँखों को एक ऐसा रास्ता दे रहा है जहाँ से सरकार के किये गए कामों का सही - सही मूल्यांकन किया जा सकता है नरेगा आज भी रोजगार की गारंटी कम मजदूरों के साथ ठगी ज्यादे दिखती है इंदिरा आवास योजना में आवास कम और ऑफिस के चकार ज्यादे काटने पड़ते हैं इस देश की बीस रपये से कम पर सरकार के खोखले वादे आम लोगों की आशाओं को भी खोखली कर रहीं है अगर इस सरकार की आलोचना की जाए तो इसे मजबूती मिल जायेगी , तो ऐसा कौन सा बाण तरकश से निकाला जाए जिसके जरिये इस सरकार की नाकामियों को सामने रखा जा सके
देश के विकास में कांग्रेस की यह सरकार पिछले 6 सालों से कार्यरत और प्रयासरत है लेकिन जिस देश की आम जनता दाने दाने को मोहताज हो वहाँ आर्थिक विकास और वैश्वीकरण के होड़ में शामिल होना ही अगर सरकार को बहुत बड़ी उपलब्धी लगती हो तो जायज है इस देश की आम जनता जो कभी अंग्रेजों और मुगलों का गुलाम हुआ करते थे आज इस प्रजातंत्र में भी सो काल्ड आज़ादी की गुलामी में अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं
वैसे भी इस देश की जनता बहुत ही भोली है, शोषण और अत्याचार को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती है जिसे आंख बंद कर देखने और सहने में असीम सुख की प्राप्ति होती है ऐसा लगता है मानो सबका जमीर सो गया है , सूरज के उगने के बाद सुबह तो रोज होती है लेकिन इस आम जनता की सुबह , शाम और रात का पता ही नहीं चलता है बस मैं तो उस सुबह का इंतजार कर रहा हूँ जब आम आदमी भूखा नहीं सोये , उसे काम मिले और दाल रोटी भी
देश का आर्थिक विकास दर ६.५ प्रतिशत को छू रहा है आर्थिक मंदी के दौरान भी सरकार ने इस देश को आर्थिक मंदी की मार से बचाए रखा इस सच से भी हम नहीं भाग सकते है लेकिन एक आम आदमी की वो पुरानी सोच कि उसके पास रोटी , कपड़ा और मकान हो आज भले ही रोटी, कपड़ा और मोबाइल बना दिया गया है लेकिन इस देश की आम जनता आज भी इन मूलभूत चीजों से खुद को कही न कहीं महरूम पा रही है
तेल की कीमतों में बढ़ोतरी , रोजमर्रा की चीजों का दाम तो जैसे आसमान छू रहा हैपिछले छः महीनो से मैं ने घर में दाल बनते नहीं देखा है किसानों को दी गयी सब्सीडी से शायद उत्पादकता को बढाने की बात इस सरकार के जेहन की एक अच्छी सोच कही जा सकती है वहीं दूसरी तरफ इन किसानो के उपजाए गए अनाज को नहीं खरीदा जाना उनके लिए परेशानी का सबब बनते जा रही है
देश खुद को आर्थिक दृष्टिकोण से मजबूत कर रहा है लेकिन इस मजबूती की नीव में गरीबी ,अशिक्षा , नक्सल और न जाने कितनी ऐसी ईंट रखी जा रही है जिस पर बना मकान बहुत स्थायी नहीं हो सकता है अगर देश की सरकार इन आंतरिक समस्यों से जूझने में सफल नहीं हो पा रही है तो विकास की परिभाषा और मानदंड क्या है ? एक आम आदमी की हैसियत से मैं आज तक देश में हो रहे विकास को नहीं समझ पाया हूँ
सड़क का बनाया जाना आम जनता की आँखों को एक ऐसा रास्ता दे रहा है जहाँ से सरकार के किये गए कामों का सही - सही मूल्यांकन किया जा सकता है नरेगा आज भी रोजगार की गारंटी कम मजदूरों के साथ ठगी ज्यादे दिखती है इंदिरा आवास योजना में आवास कम और ऑफिस के चकार ज्यादे काटने पड़ते हैं इस देश की बीस रपये से कम पर सरकार के खोखले वादे आम लोगों की आशाओं को भी खोखली कर रहीं है अगर इस सरकार की आलोचना की जाए तो इसे मजबूती मिल जायेगी , तो ऐसा कौन सा बाण तरकश से निकाला जाए जिसके जरिये इस सरकार की नाकामियों को सामने रखा जा सके
देश के विकास में कांग्रेस की यह सरकार पिछले 6 सालों से कार्यरत और प्रयासरत है लेकिन जिस देश की आम जनता दाने दाने को मोहताज हो वहाँ आर्थिक विकास और वैश्वीकरण के होड़ में शामिल होना ही अगर सरकार को बहुत बड़ी उपलब्धी लगती हो तो जायज है इस देश की आम जनता जो कभी अंग्रेजों और मुगलों का गुलाम हुआ करते थे आज इस प्रजातंत्र में भी सो काल्ड आज़ादी की गुलामी में अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं
वैसे भी इस देश की जनता बहुत ही भोली है, शोषण और अत्याचार को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती है जिसे आंख बंद कर देखने और सहने में असीम सुख की प्राप्ति होती है ऐसा लगता है मानो सबका जमीर सो गया है , सूरज के उगने के बाद सुबह तो रोज होती है लेकिन इस आम जनता की सुबह , शाम और रात का पता ही नहीं चलता है बस मैं तो उस सुबह का इंतजार कर रहा हूँ जब आम आदमी भूखा नहीं सोये , उसे काम मिले और दाल रोटी भी
Wednesday, May 12, 2010
PLAY FOR MONEY NOT FOR COUNTRY
No television set No radio even after that doing the job for barely 8 to 10 hours when a general human being goes to the house think to see the cricket carnival . The difficulty raises from here on .It was 11 at the night. Standing at a hair dresser shop I was thinking to see the last night match. Not knowing the future status of our team gazed for a few minutes on the television sets scoring Gauty and Raina thought that will rise next morning with good news proved wrong.
Criticism and the praise are the part of our lives as it also must be the part of the player's lives because they are also the general human beings. we may be the king in our own home but the bouncy wickets and the ultimate pace of the bowlers become the cause of worry for us .
Now our all the expectation gone in hell with the pathetic performance of the young brigade of Dhoni & co. late night party and fun with cheer leaders cost heavy price on Indian team . The nation of one crore people's team be at the last position only because they attend clubs and late night parties during the IPL. How much hungrier and younger team the captain wants is beyond the imagination of the general people as he announced.
We can say only one thing that this is the high time for Indian team to award with allegation and the lacking of potential not to prove as the most t 20 practising nation. There is a very famous saying that “Hope is the cause of sorrow ”we hope much more than the inner strength and the capability of the young lads who are being paid in a huge amount for playing for their respective frenchiesy .
This is worth noticing that this is not the first time when the team has not qualified for the last four . Who is to take the responsibility of this defeat either BCCI or the AKKA of excessive revolutionary playing format (IPL). The playing passion of our team abroad always puts the question mark.
Criticism and the praise are the part of our lives as it also must be the part of the player's lives because they are also the general human beings. we may be the king in our own home but the bouncy wickets and the ultimate pace of the bowlers become the cause of worry for us .
Now our all the expectation gone in hell with the pathetic performance of the young brigade of Dhoni & co. late night party and fun with cheer leaders cost heavy price on Indian team . The nation of one crore people's team be at the last position only because they attend clubs and late night parties during the IPL. How much hungrier and younger team the captain wants is beyond the imagination of the general people as he announced.
We can say only one thing that this is the high time for Indian team to award with allegation and the lacking of potential not to prove as the most t 20 practising nation. There is a very famous saying that “Hope is the cause of sorrow ”we hope much more than the inner strength and the capability of the young lads who are being paid in a huge amount for playing for their respective frenchiesy .
This is worth noticing that this is not the first time when the team has not qualified for the last four . Who is to take the responsibility of this defeat either BCCI or the AKKA of excessive revolutionary playing format (IPL). The playing passion of our team abroad always puts the question mark.
Tuesday, May 11, 2010
TOUGH TIME TOUGHER GAME
There is an adjustment factor in international cricket with the top players who have been playing for the team . The removal of seniors by young lads must prove of much worth . Now the matter is that we are just on the brink to get out from the T-20 world cup. Only one hope is our team will have to register an emphatic win against Sri Lanka and the Mathematics can do a lot by acquiring a good NRR .
As we know that this is one day's one man and one inning game no one has played in such a fine flow which can even stable the side to be the part of this carnival . Are we able to be i9n the hunt the statement made by our skipper that we can't compare IPL and T-20 . Then why we say that we have been preparing ourselves for the forth coming games.
It is hard to believe that the too much T-20 playing nation gets such the difficult amount of pain to get an entry in the berth of semis. we as the spectator believe that our nation will improve day by day by plying too much cricket and will achieve the dizzy heights of the world cricket.
As we know that this is one day's one man and one inning game no one has played in such a fine flow which can even stable the side to be the part of this carnival . Are we able to be i9n the hunt the statement made by our skipper that we can't compare IPL and T-20 . Then why we say that we have been preparing ourselves for the forth coming games.
It is hard to believe that the too much T-20 playing nation gets such the difficult amount of pain to get an entry in the berth of semis. we as the spectator believe that our nation will improve day by day by plying too much cricket and will achieve the dizzy heights of the world cricket.
Saturday, May 8, 2010
A MUST WIN GAME
Both India and the West Indies would be trying to get over a very disappointing Friday when they face each other on Sunda. It is easy to loose but tough to win in the condition where you start loosing . Dhoni's young brigade fail at the pace and bounce raised by the Australian pacers. Now it would be worth watching that how our team comes over the attacking pace of the Home Side.
The Indian batsmen were so free-flowing against South Africa in St। Lucia, but on a Barbados wicket with some bounce and nip, they were diffident and out of sorts. Now the possibility to enter in semifinals is in peril . Would it be possible to come out from the long two months exortion of IPL. It is important for West Indies to stay alive in this tournament because it will keep local interest alive.
The normalcy of playing cricket can reveal a good result । As a T-20 champion we need to be in the game and prove the outbursting of playing too much cricket in the format of IPL. Nothing can be gain said against the beauty of this format of the game where a day, a player, an an inning can make you enter in the hunt to be the world champ.
As an spectator we are hoping for the best today that our players must perform in well mannered way that may prove that we are in the hunt to be the part of Caribbean carnival .Last but not the least “patience is the key to the success” . Our players should try to do the things patiently not coming in aggression as they did against the Australian side.
Subscribe to:
Posts (Atom)