Tuesday, May 18, 2010

सरकार का सरोकार




हमारा देश विकास के पथ पर अग्रसर है ,इस सच से हम आम जनता वाकिफ हैं कांग्रेस की सरकार आने वाले २२ मई को अपने द्वितीय सत्र के एक साल पूरे करने वाली है उपलब्धियों की लम्बी फेहरिश्त में "महिला बिल का पास होना ,शिक्षा सबों के लिए" जैसे कुछ और नाम भी हो सकते हैं लेकिन इस सरकार से भी चूक हुई जो महगाई का विकराल रूप लेकर सामने आया और आम लोगों की दाल रोटी तक लील गया लोग कहते हैं कि आलोचना खुद को प्रकाशित और प्रचारित करने का सबसे आसान तरीका है अगर हम भी इस सरकार की आलोचना करते है तो शायद इसे मजबूती दे रहे हैं और कुछ नहीं

देश का आर्थिक विकास दर ६.५ प्रतिशत को छू रहा है आर्थिक मंदी के दौरान भी सरकार ने इस देश को आर्थिक मंदी की मार से बचाए रखा इस सच से भी हम नहीं भाग सकते है लेकिन एक आम आदमी की वो पुरानी सोच कि उसके पास रोटी , कपड़ा और मकान हो आज भले ही रोटी, कपड़ा और मोबाइल बना दिया गया है लेकिन इस देश की आम जनता आज भी इन मूलभूत चीजों से खुद को कही न कहीं महरूम पा रही है

तेल की कीमतों में बढ़ोतरी , रोजमर्रा की चीजों का दाम तो जैसे आसमान छू रहा हैपिछले छः महीनो से मैं ने घर में दाल बनते नहीं देखा है किसानों को दी गयी सब्सीडी से शायद उत्पादकता को बढाने की बात इस सरकार के जेहन की एक अच्छी सोच कही जा सकती है वहीं दूसरी तरफ इन किसानो के उपजाए गए अनाज को नहीं खरीदा जाना उनके लिए परेशानी का सबब बनते जा रही है

देश खुद को आर्थिक दृष्टिकोण से मजबूत कर रहा है लेकिन इस मजबूती की नीव में गरीबी ,अशिक्षा , नक्सल और न जाने कितनी ऐसी ईंट रखी जा रही है जिस पर बना मकान बहुत स्थायी नहीं हो सकता है अगर देश की सरकार इन आंतरिक समस्यों से जूझने में सफल नहीं हो पा रही है तो विकास की परिभाषा और मानदंड क्या है ? एक आम आदमी की हैसियत से मैं आज तक देश में हो रहे विकास को नहीं समझ पाया हूँ

सड़क का बनाया जाना आम जनता की आँखों को एक ऐसा रास्ता दे रहा है जहाँ से सरकार के किये गए कामों का सही - सही मूल्यांकन किया जा सकता है नरेगा आज भी रोजगार की गारंटी कम मजदूरों के साथ ठगी ज्यादे दिखती है इंदिरा आवास योजना में आवास कम और ऑफिस के चकार ज्यादे काटने पड़ते हैं इस देश की बीस रपये से कम पर सरकार के खोखले वादे आम लोगों की आशाओं को भी खोखली कर रहीं है अगर इस सरकार की आलोचना की जाए तो इसे मजबूती मिल जायेगी , तो ऐसा कौन सा बाण तरकश से निकाला जाए जिसके जरिये इस सरकार की नाकामियों को सामने रखा जा सके

देश के विकास में कांग्रेस की यह सरकार पिछले 6 सालों से कार्यरत और प्रयासरत है लेकिन जिस देश की आम जनता दाने दाने को मोहताज हो वहाँ आर्थिक विकास और वैश्वीकरण के होड़ में शामिल होना ही अगर सरकार को बहुत बड़ी उपलब्धी लगती हो तो जायज है इस देश की आम जनता जो कभी अंग्रेजों और मुगलों का गुलाम हुआ करते थे आज इस प्रजातंत्र में भी सो काल्ड आज़ादी की गुलामी में अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं

वैसे भी इस देश की जनता बहुत ही भोली है, शोषण और अत्याचार को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती है जिसे आंख बंद कर देखने और सहने में असीम सुख की प्राप्ति होती है ऐसा लगता है मानो सबका जमीर सो गया है , सूरज के उगने के बाद सुबह तो रोज होती है लेकिन इस आम जनता की सुबह , शाम और रात का पता ही नहीं चलता है बस मैं तो उस सुबह का इंतजार कर रहा हूँ जब आम आदमी भूखा नहीं सोये , उसे काम मिले और दाल रोटी भी

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