मेरे हाल पर जब उन्हें रोता हुआ पाता हूं॥
कैसे समझाउं उन्हें,कि मैं उनसे बफ़ा करता हूं।
आखें हो जाती है नम जब दर्द ए गम बयां करता हूं॥
रूह कांप उठती है जब वो मेरी बफ़ा को कोई नाम नहीं देती।
जीवन के उलझन में खुद की तन्हाई कोई मुकाम नहीं देती||
काश वो शाम फिर आती , जब मैं उन्हें मना पाता|
उन्हें अपनी आगोश में लेता और इस बेगानी दुनिया से दूर चला जाता ||