कांटो से सिखा है फूलों के दामन में लिपट जाना॥
दुनिया कि कोसती निगाहों ने जिन्दगी को जीना सिखा दिया।
मांगकर पीता था पहले, जिसने मैखाना जाना सिखा दिया॥
दिल कि जवां धड्कनों ने कभी शायर तो कभी दीवाना बना दिया।
तारीफ़ के जुमलों ने मेरी सोच को एक नजराना बना दिया ॥
पूस की काली रात ने मुझे थरथराना सिखा दिया।
एक गरीब बनकर पैदा होना ने मुझे जीना सिखा दिया
1 comment:
बढ़िया भाव हैं...
’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
Post a Comment