Tuesday, May 12, 2009

माँ दिवस क्यों ?

" दूरजाकर भी दूर जा न सके , हमें अफ़सोस की हम उन्हें भुला न सके
वो लाख कहें मैं दूर हूँ लेकिन हम उन्हें ख़ुद से जुदा पा न सके
कल्पनों की दुनिया में हम मानवीय पक्षी कभी ऐसी उड़न भरने को सोचते हैं जिसके न क्षितिज की सीमाओं का पता और न ही धरती का \ विज्ञानं के इस बदलते युग ने सही मायने में इन्सान के जीवन की हर चीज बदल दी है , लेकिन क्या इन बदलती परिस्थितयों ने रिश्तों को बदलने का बीरा उठाया है , हाँ शहरों में रहते हुए भाग दौड़ की जिन्दगी में ये शब्द कटु तो हो सकते है लेकिन यह हमारे जीवन का सत्य बनता जा रहा है क्योंकि आज हम माँ जैसी अमूल्य रिश्तों को याद करने के लिए एक दिन निर्धारित करते हैं , क्या हमारे पास वर्षों की खुशी में मात्र एक दिन रह जाते हैं जब हम अपनी माँ को याद रख सकें जिस माँ ने हमें नौ माह अपने गर्भ में अपनी खून से सीचा , लाख तकलीफों के बावजूद हमें जन्म दिया और ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया क्या मात्र एक दिन की खुशी उनके कलेजे को ठंडक पहुँचा सकती है
बचपन में सुना था की अख़बारों मं पढ़े लिखे लोग अपनी बात लिखते हैं लेकिन अज पता चला की ये तो व्यवसाई बुन बैठे हैं , अख़बारों के जरिये माँ को याद करने और खुसरखने का तरीके परोसते हैं संस्कृत के शालोकों यह कह गया है की पुत्र कुपुत्र हो सकते हैं लेकिन माता कुमाता नही हो सकती जीवन की रफ्तार ने मानवीय संवेदनाओं को एक दिन में पिरोने की कोशिश की है लेकिन इस रफ्तार ने हमारी मानवीय भावनाओं को आहात किया है फिल्मों को हमारे समाज का आइना मन जाता है तभी तो दीवार जैसी फिल्मों के अभिभाषण " मेरे पास माँ है " अज भी लोगों की जुबान से कभी न कभी चिपक जाते हैं , सृष्टि की संरंचना में हम प्रकृति की इस अमूल्य देन को अलग नही कर सकते , विज्ञानं हमें टेस्ट ट्यूब बेबी और क्लोनिंग जैसे उपहारों से खुश करने की लाख कोशिश कर ले लेकिन माँ की ममता और उसकी गोद का प्यार नही दे सकती एक मानव होने के नाते हम्मे अगर सोचने की तनिक भी क्षमता शेष है तो दिवस के बंधन से मुक्त होकर माँ की ममता और उसके प्यार की खातिर इन बन्धनों में न बढें , यह हमारी मानवीय अपील है

2 comments:

Sumit Bharati said...

totally agreed with u...
we should not be so limited to express our love n affection to our mothers on a scheduled day.mother-child relation is universal symbol of luv n affection..why we should be so mean to select a single day 4 it

Vikas Kumar said...

font ka rang badaliye,,,,,,,,,

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